प्रेग्नेंट महिलाएं अगर तंदरुस्त रहती है तो उनकी नार्मल डिलीवरी के चांसेस बढ़ जाते है। फ़ीट रहने के लिए शरीर को कसरत की जरूरत होती है। आप योग करके अपने शरीर को स्वस्थ रख सकती है। इससे आप और आपका बच्चा भी स्वस्थ रहता है तो यदि आप प्रेग्नेंट है तो कुछ ख़ास योगा पोसेस इसमें आपकी मदद करेंगे।
प्रेगनेंसी योगा फॉर नार्मल डिलीवरी
सामान्य प्रसव के लिए योग बहुत ही लाभकारी होता है आइए जानें योग के बारे में।
१. कोणासन -
इस मुद्रा को करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। अब पैरों को खोल लें अपने दोनों हाथ जांघों के पास लाएं गहरी सांस ले और अपने दाएं हाथ को ऊपर की तरफ उठायें। अब सांस छोड़े और रीढ़ की हड्डी को झुकाते हुए बाईं तरफ झुके। पहले अपनी कमर को झुकाएं फिर अपने कूल्हों को बाईं ओर झुकाएं। आपकी जितनी क्षमता हो शरीर को उतना ही झुकाएं। अपने दाएं हाथ को ऊपर की ओर तना हुआ ही रखना है। १० सेकंड तक इस अवस्था में ही रहें। सांस भरे और अपने शरीर को सीधा करें। सांस छोड़ते हुए दाएं हाथ को नीचे ले आएं। बाईं ओर भी इसी प्रक्रिया को करें।
२. बद्ध कोणासन -
आपको एक दरी या चटाई पर बैठना है। योगा मेट भी ले सकते है। इस पर बैठे अब पैरों को बिल्कुल सीधा कर लें सामने की तरफ। अब दोनों पैरों को जांघो पर रखे बिना पैरों को मोड़ लें। जैसे हम नार्मल बैठते है। पैर चटाई से स्पर्श होने चाहिए। अब दोनों पैरों के तलवों को आपस में मिला लें। हाथों को घुटनों पर या जांघो पर रख लें। पैरों के पंजों को हाथों से पकड़ लें। १० से २० सेकंड तक इस अवस्था में बैठे रहे।
३. वक्रासन -
चटाई पर बैठे और पैर सीधे कर लें। दोनों हाथ कूल्हों पर रखे। बाएं पैर को मोड़कर उसे बीच में ले आयें। दायां पैर सीधा रखे। सांस को छोड़ते हुए कमर को मोड़े। गर्दन को बाईं ओर घुमाएं जितनी आपकी क्षमता हो। दायां हाथ बाएं पैर के घुटने पर रखे। अब बाएं हाथ को पीछे सीधा रखें। सांस लें और पहले की अवस्था में आ जाएं।
४. उत्थानासन -
उत्थानासन योग में बैठने से श्रोणि मजबूत होती है। प्रसव के बाद उठने बैठने में यह शरीर को आरामदायक महसूस करवाने में बहुत ही मददगार है। शरीर को लचीला बनाने में मदद मिलती है।
५. वज्रासन -
यह पीठ को मजबूत बनाता है। जिन गर्भवती महिलाओं को गंभीर पीठ दर्द की समस्या होती है उनके दर्द को कम करने के लिए मदद करता है। इससे मांसपेशियों को भी आराम मिलता है।
६. पर्वतासन -
पदमासन, सुखासन या अर्धपद्मासन में बैठे फिर सीधा बैठ जाएँ। सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठायें। दोनों हाथ जोड़ लें कोहनी सीधी होना चाहिए और दोनों हाथ कान से लगे होने चाहिए। कुछ सेकंड तक इसी अवस्था में रहे। जिसके बाद पहले की अवस्था में वापस आ जाएँ।
७. पर्यंकासन -
कमर के नीचे मुलायम मोटा तौलिया या तकिया रखें। उस पर कमर को टिकाएं और सीधे लेट जाएँ। पैर को सीधा रख कर दोनों पैरों के घुटने एक साथ करें। बायां पैर मोड़े जितनी आपकी क्षमता हो। इस दौरान सांस लेते रहे। जितनी देर आप इस अवस्था में रह सकते है रहे। इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ भी करें।
८. उत्कटासन -
ताड़ासन में खड़े हो जाएं। अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर करें। दोनों हथेलियां एक दूसरे के सामने हो। अपने दोनों पैरों को खोल लें। सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ लें। कुल्हें जमीन की तरफ झुकाएं। कूल्हों को और जांघों को एक समान ही रखना है। सांस लेते हुए घुटनों को सीधा करें। अब वापस ताड़ासन में खड़े हो जाएँ। किसी प्रशिक्षित योग ट्रेनर की देखरेख में यह योग करें।
९. यस्तिकासना -
चटाई लें उस पर शवासन में लेट जाएँ। अपने दोनों हाथ सिर के पीछे लें जाएँ। हाथों को ऐसे ही रखकर स्ट्रेच करें। आप पैर भी जितना सीधा कर सकते है उतना सीधा करें। आपके शरीर में एक खिंचाव होगा इसे महसूस करें जितनी देर आप इस पोज़ में रह सकते है रहे। थोड़ी देर बाद वापस शवासन में आ जाएं। ४-५ बार इसे दोहराएं।
१०. ताड़ासन -
यह ताड़ के पेड़ की मुद्रा की तरह होता है। यह बहुत ही सरल आसन है। इस स्थिति से शरीर को सीधा रखने में मदद मिलती है और प्रसव के बाद होने वाली पीड़ा में भी आराम मिलता है। आप नियमित तौर पर यह आसन करें। इससे जांघ और टखने मजबूत होते है। रीढ़ की हड्डी में खिचाव होने की वजह से उसके विकार दूर होते है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह योग बहुत ही लाभकारी है।
निष्कर्ष :
इन योगा को अपने गर्भावस्था के दौरान करें। आपकी प्रेग्नेंसी का समय और प्रसव के बाद का समय बहुत ही आसान हो जाएगा। जिस योगासन में आपको तकलीफ महसूस हो रही हो उसे ना करें। किसी योग विशेषज्ञ की निगरानी में करें।